Fish Farming Business In Hindi :- दोस्तों आज के इस नए दौर में नौकरी पाना बहुत मुश्किल हो गया है और बहुतसारे लोगो के पास नौकरी नहीं है जिसके कारण हमारे देश में बेरोजगारी बढ़ती ही जा रही है. इसके आलावा बहुतसारे लोग अब अपना खुद का कुछ छोटासा बिज़नेस शुरू करना चाहते है.
अगर आप भी आपना खुद का कुछ नया बिजनेस करना चाहते है तो आज का ये आर्टिकल आपके लिए बहुत खास होने वाला है जिसका नाम है Information of Fish Farming In Hindi यानि मछली पालन कैसे करें.
दोस्तों इस आर्टिकल में हम जानेंगे की मछली पालन (Fish Farming) कैसे किया जाता है? मछली पालन से क्या फायदे होते है? मछली पालन के लिए मछलियों की प्रजाति कोनसी होती है? ऐसे अनेक मुद्दों पर हम विस्तार से जानकारी लेने जा रहे है.
हम इस आर्टिकल की शुरवात करे उससे पहले मैं आपसे अनुरोध करता हु की आप इस लेख को ध्यान लगाकर पढ़े और ज्यादा से ज्यादा जानकारी लेने का प्रयास करे साथ ही में अगर आपको ये लेख पसंद आता है तो इसे आप अपने दोस्तों को आवश्य शेअर करे और कोई प्रश्न हो तो निचे कमेंट करे.
तो दोस्तों अब बिना देरी के चलिए शुरू करते है आज का अपना आर्टिकल जिसका नाम है मछली पालन व्यवसाय कैसे करते है?
Information of Fish Farming In Hindi – मछली पालन कैसे करें
दोस्तों आप सभी जानते है की भारत एक कृषिप्रदान देश है और यहाँ ज्यादातर लोग खेती करते है. खेती के साथ साथ हमारे किसान भाई खेती से जुड़े अन्य बिज़नेस करते रहते है जैसे की बकरी पालन, पशुपालन इसी प्रकार बहुत से लोग मछली पालन करते भी नजर आते है.
दोस्तों जबकि हम बात कर रहे है मछली पालन की तो मैं आपको बता दू की हमारे देश में कुछ लोग शाकाहार को अपनाते है तो कुछ लोग मासाहार को अपनाते है. मासाहार करनेवाले लोग ज्यादातर मछली खाना पसंद करते है.
मछली में बहुत ज्यादा मात्रा में प्रोटीन, गुड़ फैट्स, कार्बोहाड्रेट और अन्य महत्वपूर्ण घटक पाए जाते है. इसलिए अक्सर डॉक्टर द्वारा मछली का सेवन करने को कहा जाता है और मछली सेवन से काफी हद तक बीमारिया भी ठीक हो जाती है.
मछली पालन (Fish Farming) व्यवसाय को अंग्रेजी भाषा में “Fish Farming” कहा जाता है. पहले के ज़माने में मछली पालन नदी में या समंदर में किया जाता था लेकिन अब विज्ञान की मदत से हम मछली पालन व्यवसाय कही भी सकते है.
नविन पद्धतिनुसार अब नदी या समंदर के आलावा हम कृत्रिम तालाब बनाकर या छोटे छोटे टैंक बनाकर मछली पालन कर सकते है. ये हम खेत में, खाली जमीन पर या किसी भी छोटी- बडी जगह पर कर सकते है.
सामान्यतः मछली पालन में विशिष्ट्य मछली की प्रजातियों का ही मछली पालन किया जाता है. जैसे किसी विशिष्ट्य मछली में औषधी गुण होते तो उसकी बाजार में कीमत बहुत ज्यादा होती है और इसलिए ऐसी मछली को पालकर हम मोटा मुनाफा कमा सकते है.
मछली पालन के लिए मछली की प्रजातियां
मछली पालन (Fish Farming) के लिए मछली का चयन बहुत महत्वपूर्ण होता है. अगर हम मछली पालन के लिए सही मछली का चयन नहीं करेंगे तो यह हमे बहुत नुकसानदेय हो सकता हैं. तो ऐसेही हमे कोनसी प्रजाति की मछली का चयन करना चाहिए इस विषय पर हम विस्तार से जानने वाले हैं.
दोस्तों सबसे ज्यादा मछली पालन के लिए निचे दी गयी मछली की प्रजातियों का चयन किया जाता है:
- रोहू मछली (Rohu Fish)
- मृगल मछली (Mrigal Fish)
- कतला मछली (Catla Fish)
- साल्मन मछली (Salmon Fish)
- सिल्वर कार्प मछली (Silver Carp Fish)
- ग्रास कार्प मछली (Grass Carp Fish)
- कॉमन कार्प मछली (Common Carp Fish)
ये सभी मछलियों की भारतीय और विदेशी बाजार में बहुत कीमत है और इसलिए इन प्रजातियों का मछली पालन करना बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है.
अब हम इन मछलियों के बारे में थोड़ी और जानकारी जान लेते हैं.
१) रोहू मछली (Rohu Fish):
Rohu Fish मीठे पानी में यानि नदी या तालाब में पायी जाती है. मछली पालन व्यवसाय में रोहू मछली कृत्रिम तालाब या टैंक बनाकर पाली जाती है. इस मछली के रंग की बात करे तो मछली के पेट का निचला हिस्सा चांदी के रंग का और बाकि ऊपर के शरीर का रंग हलका काला होता है वैसेही मछली के पंख का रंग गुलाबी होता है.
आकार के हिसाब से रोहू मछली की लंबाई १-२ फुट होती है और कुछ जगह ये लंबाई ५-७ फुट तक होती है. मछली का वजन १-४० किलो तक हो सकता है और ये सामान्य तौर पर नदी तालाबों में पायी जाती है.
रोहू मछली में बहुत से पोषक तत्व मौजूद होते है. जिनमे जिंक, पोटैशियम, कैल्शियम, विटामिन-C और ओमेगा-३ फैटी एसिड बहुत ज्यादा होते है. जिनसे बहुत बीमारियो का इलाज किया जाता है.
२) मृगल मछली (Mrigal Fish):
मृगल मछली भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, ब्रम्हदेश में नदियों में पायी जाती है. मृगल मछली का खाना नदी के निचले हिस्से में रहता है इसलिए ये मछली ज्यादातर नदी के निचले सतह पर ही रहती है.
इस मछली की लंबाई ३ फुट तक होती है. और इसका वजन १०-१२ किलो तक होता है. मृगल मछली को तालाब या टैंक में पाला जा सकता है और खास बात यह है की मृगल मछली और रोहू मछली का एक साथ पालन करने से ये काफी फायदेमंद हो सकता है.
मृगल मछली का रंग काफी हद तक रोहू मछली के तरह चांदी और हल्का काला रहता है.
३) कतला मछली (Catla Fish):
Catla Fish को तालाबों के लिए उपयुक्त माना जाता है. ये मछली भारत, बांग्लादेश, नेपाल, पाकिस्तान, ब्रम्हदेश में पायी जाती है. ये मछली का भोजन पानी में तैरता रहता है जिसके कारन ये मछली ज्यादातर पानी के ऊपरी सतह पर पायी जाती है.
कतला मछली का आसानीसे मछली पालन किया जा सकता है. इसके लिए हम प्राकृतिक और कृत्रिम दोनों प्रकार के तालाब में मछली पालन कर सकते है.
४) साल्मन मछली (Salmon Fish):
दोस्तों साल्मन मछलिया अटलांटिक और पॅसिफिक महासागर से मिलने वाली कुछ नदियों में पायी जाती है. ये मछलिया समंदर और नदी के पानी में यानि खारा और मीठा दोनों पानी में जीवित रह सकती है.
भारत में साल्मन मछली पूर्व की ओर ओडिसा और पश्चिम बंगाल के समंदर में पायी जाती है और पश्चिम में महाराष्ट्र और गुजरात में पायी जाती है.
साल्मन मछली का वजन ९.४-१४५ किलो तक हो जाता है. साल्मन मछली की लंबाई ३-६.५ फुट तक होती है. साल्मन मछली का ऊपरी रंग चांदी का होता है और उसके मांस का रंग गुलाबी या नारंगी होता है.
साल्मन मछली में बाकि मछलियों के आलावा व्हिटॅमिन्स, गुड फॅट्स, ओमेगा-३ जैसे पोषक गुण ज्यादा पाए जाते है और इसलिए इस मछली को बाजार में बहुत ज्यादा मांग है. इस मछली का यदि हम मछली पालन करते है तो हम मोटा मुनाफा कमा सकते है.
Salmon मछली ज्यादातर महाराष्ट्र में पायी जाती है इसलिए इसका स्थानीय मराठी और हिंदी नाम पता होना जरुरी होता है. तो दोस्तों साल्मन को मराठी और हिंदी में “रावस फिश” कहा जाता है. इसमें ज्यादा औषधि गुण होने के कारण इसकी मांग में पिछले कुछ सालों में इजाफा हुआ है.
दोस्तों साल्मन मछली में बहुत गुणकारी तत्व मौजूद होते है और अगर आप साल्मन मछली के बारे में विस्तार से जानना चाहते है तो आप “Salmon Fish In Marathi” ये लेख पढ़कर और ज्यादा जानकारी ले सकते है.
५) सिल्वर कार्प मछली (Silver Carp Fish):
सिल्वर कार्प मछली भारत, चीन और रशिया के समंदर में पायी जाती है. Silver Carp मछली की लंबाई १.९-३.२ फुट होती है और इसकी सबसे ज्यादा लंबाई ४.५ फुट नापी गई है. सिल्वर कार्प मछली का वजन ५० किलो तक होता है.
Silver Carp मछली का रंग चांदी के रंग का होता है और इसिलए उसका नाम सिल्वर कार्प पड़ा है. सिल्वर कार्प मछली की में बहुत सारे प्रोटीन्स मौजूद होते है और इसलिए इस मछली का मछली पालन करने से हम ज्यादा मुनाफा कमा सकते है.
६) ग्रास कार्प मछली (Grass Carp Fish):
Grass Carp मछली भी Silver Carp मछली के जैसे ही भारत, चीन, रशिया के समंदर में पायी जाती है इतना ही नहीं ये मछलिया पुरे विश्व में हर जगह पायी जाते है. इस मछली का मुख्य खाना सब्जिया, पेड़ो की पत्तिया और झाड़िया होता है और इस वजह से इसका नाम Grass Carp रखा गया है.
इस मछली की लंबाई १.९-३.२ फुट तक होती है और इनका वजन ४५ किलो तक होता है. ये मछलिया, मछली पालन व्यवसाय के लिए उपयुक्त है और हम बड़े आसानीसे इनका पालन कर सकते है.
७) कॉमन कार्प मछली (Common Carp Fish):
Common Carp मछली पुरे विश्व के समंदर में पायी जाने वाली मछली है. ये मछली ज्यादातर समंदर की निचली सतह पर रहती है. ये मछली कुछ भी खा लेती है. परंतु ज्यादातर ये मछली समंदर में उगने वाली पेड़ पौधों को खाती है.
ये मछली को हम बाकि मछलियों के साथ पाल सकते है क्युकी ये मछली हमारे तालाब-टैंक को साफ रखने में काफी मदतगार साबित होती है.
How to Start Fish Farming Business: मछली पालन कैसे शुरू करे?
दोस्तों बहुत लोग नौकरी न मिलने की वजह से या नौकरी के अलावा अपना खुद का कुछ बिजनेस करना चाहते हैं. आप यह लेख पढ़ रहे हैं इसका मतलब आप भी यह बिजनेस करना चाहते है.
लेकिन दोस्तों हम Fish Farming बिजनेस को जानने से पहले मैं आपको एक बात बताना चाहता हु वो यह है की मछली पालन व्यवसाय जितना लगता है उतना आसान नहीं है इसमें आपको बहुत सी परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है. लेकिन दोस्तों अगर आपको बिजनेस करना है तो आपको इन परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा और आपके बिजनेस को बड़ा बनाना होगा.
अब बिजनेस कोई भी हो आपको कठिन से कठिन परिस्थितियां और समस्या आएँगी ही तो फिर आप उसको युही नहीं छोड़ सकते एक Successful बिजनेस करने के लिए आपको आनेवाली हर परिस्थिति का सामना करना पड़ेगा. तो दोस्तों अगर आप तैयार है तो आईये जानते है, ‘मछली पालन व्यवसाय को कैसे शुरू किया जाता है’.
१) मछलियों के लिए तालाब या टैंक की सुविधा:
दोस्तों मछली एक पानी में रहने वाला जिव है इसलिए पानी का संचय करना बहुत आवश्यक है. मछली समंदर या नदी में बड़ी आसानीसे रह सकती है और अगर हमे Fish Farming करनी है तो हम मछलियों को पालने के लिए तालाब या टैंक बना सकते है.
आप अगर बड़े स्तर पर ये बिजनेस करना चाहते है और आपके पास बहुत सी जगह है तो आप बड़ा तालाब बनाकर मछली पालन कर सकते है और अगर आपके पास जगह की कमी है तो फिर आप छोटे छोटे टैंक बनाकर भी इस व्यवसाय को शुरू कर सकते है.
तो दोस्तों सबसे पहले आप तालाब या टैंक की व्यवस्था करके उसमे पानी की लिकेज न हो इस पर ध्यान दे और बाद में उसमे मछली के बीज रख दे.
२) अच्छी मछली की नस्ल का चयन:
दोस्तों मछली पालन करने के लिए सबसे अच्छी और ज्यादा मुनाफा देने वाली मच्छी का पालन करना बहुत आवश्यक है. भारत का वातावरण मछली पालन करने हेतु बहुत अनुकूल माना जाता है. लेकिन अगर व्यवसाय करना है तो नुकसान होने से बचने के लिए हमे अच्छी नस्ल की जानकारी होना अनिवार्य है.
नस्ल की जानकारी जुटाते समय हमे उस मछली में होने वाले तत्व की जानकारी होनी चाहीये, इसके आलावा हमे उसकी बाजार में कीमत क्या है, ये मछली का उपयोग किस प्रकार हो सकता है, ये मछली को पालन करने के लिए खर्चा कितना लगेगा ये सब जानकारी जुटाकर ही सही नस्ल का चुनाव करे ताकि आगे चलकर नुकसान से बचा जा सके.
भारत में बहुत नस्ल की मछलियों का मछली पालन किया जाता है लेकिन सबसे अच्छा और फायदा देने वाली मछलियों में रोहू मछली, मृगल मछली, कतला मछली, साल्मन मछली, सिल्वर कार्प मछली, ग्रास कार्प मछली, कॉमन कार्प मछली शामिल है.
इन सभी मछलियों के बारे में हमने इसी लेख में पहले ही चर्चा की हुई है. आप उसपर जा कर विस्तृत से पढ़ सकते है.
३) मछली के लिए खाने का चयन:
Fish Farming बिजनेस के लिए मछलियों के खाने पर बहुत ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है. मछली का उत्पादन मछली के खाने पर निर्भर करता है. जितना अच्छा पौष्टिक खाना उतनी ही मछली ज्यादा तंदुरस्त रहती है.
दोस्तों अगर आप आपने खेती के साथ साथ मछली पालन करते है तो आप खेती से निकलने वाली फसल, सब्जिया और अन्य सामग्री का उपयोग मछली के खाने में कर सकते है. जिससे आपका होने वाला खर्चा काफी हद तक काम हो जायेगा.
मछलियों के खाने के दो प्रकार होते है Inner Feed और Outer Feed.
जो खाना तालाब या टैंक में अपने आप ही उत्पन्न होता है उसको Inner Feed कहा जाता है. Inner Feed में छोटे छोटे कीड़े शामिल होते है.
वैसे ही जो खाना हम मछलियों को बाहर से देते है उसको Outer Feed कहा जाता है. ये खाना हमे बाजार से आसानीसे मिल जाता है. इसके आलावा हम मछलियों को चावल, सब्जियां इत्यादि भी दे सकते है.
४) मछलियों की देखभाल:
मछली पालन (Fish Farming) व्यवसाय शुरू होने के बाद हमे मछलियों की अच्छी देखभाल करनी पड़ती है. काफी लोग सोचते है की एक बार हमने मछली तालाब या टैंक में छोड़ दी की आपने काम हो गया, इस प्रकार नहीं होता है दोस्तों. मछली पालन शुरू करने से लेकर मछली को बाजार में पहुचने तक आपकी एक जिम्मेदारी रहती है.
मछली पालन शुरू करने के बाद हमे उनको समय पर खाना देना होता है. साथ ही में हर हफ्ते में एक बार उनका मेडिकल चेकअप करना आवश्यक होता है. वैसेही आप तालाब या टैंक में मछली पालन करते है तो आपको उसका पानी गंदा होने पर महीने में बार बार बदलना पड़ेगा और मछली में कोई रोग या सक्रमण तो नहीं हुआ है इसका भी ध्यान रखना होता है.
५) मछलियों के लिए बाजार का चयन:
कुछ समय के बाद मछली अच्छी तरह तैयार होने के पर हमे उसे बाजार में बेचना पड़ता है. मछली के लिए हमारे भारतीय बाजार में बहुत अच्छी कीमत मिलती है साथ ही में अगर आप ऐसे विदेशी बाजार में बेचना चाहते है तो आप उसे भी बेच सकते है और मोटा मुनाफा कमा सकते है.
दोस्तों अगर आप अपनी मछली का निर्यात दूसरे देशो में करते हो तो आपको तो फायदा होगा ही साथ ही में हमारे देश को भी निर्यात से बहुत फायदा होता है. निर्यात करने से आप देश की अर्थव्यवस्था में अपना सहयोग दे सकते है.
मछली पालन से होने वाले फायदे
मछली पालन करने से बहुत सारे लाभ होते है, ये लाभ कुछ इस प्रकर है:
- मछली पालन (Fish Farming) में हम मछलियों को छोटे छोटे टैंक में भी पाल सकते है जिससे बाकि व्यवसायों की तुलना में खर्चा काम आता है.
- ये बिजनेस करके आप कम समय में ज्यादा पैसे कमा सकते है.
- मछली पालन को ज्यादा से ज्यादा ८ महीने या १ साल तक का वक्त लग सकता है.
- मछलियों की बाजार में बहुत ज्यादा डिमांड है और ये डिमांड बढ़ती ही जा रही है, तो इस बिजनेस से हमें आने वाले समय में मुनाफा हो सकता है.
- मछली पालन व्यवसाय को हम खेती करने के साथ साथ आसानीसे कर सकते है.
मछली पालन के लिए कोनसी मछली पाली जा सकती है?
मछली पालन के लिए रोहू मछली, मृगल मछली, कतला मछली, साल्मन मछली, सिल्वर कार्प मछली, ग्रास कार्प मछली, कॉमन कार्प मछली ये मछलिया पाली जा सकती है.
क्या खेती के साथ साथ मछली पालन किया जा सकता है?
खेती के साथ साथ मछली पालन बड़ी आसानीसे किया जा सकता है.
मछली पालन के लिए कितना समय लग सकता है?
मछली पालन में ज्यादा से ज्यादा ८ महीने या १ साल तक का समय लग सकता है.
निष्कर्ष
दोस्तों आज के इस लेख में हमने देखा की, मछली पालन (Fish Farming) क्या होता है? मछली पालन में मछलियों की कोनसी प्रजातियां होती है? मछली पालन कैसे शुरू किया जाता है? और साथ ही में हमने जाना की मछली पालन करने से क्या फायदा होता है?
दोस्तों इस लेख में हमने आपको Fish Farming के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी देने का भरपूर प्रयास किया है. ये लेख में अगर आपको कुछ और जानकारी जाननी हो या आपको हमसे कुछ सवाल करने हो तो आप निचे कमेंट कर सकते हो.
वैसे अगर ये हमारा लेख Fish Farming Business In Hindi आपको अच्छा लगा हो तो आप आपने दोस्तों के साथ इसे अवश्य शेअर करे ताकि उनको भी Fish Farming के बारे में पता चल सके.
धन्यवाद…
Author Bio
नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम सुमित रंधे, मैं TalkInMarathi.Com का Author & Founder हूँ. मैं Engineering में Graduate हूँ. मुझे नयी नयी रोचक जानकारी लोगो से शेयर करना बहुत अच्छा लगता है. इसीलिए मैंने TalkInMarathi ब्लॉग की शुरवात की है. यहाँ मैं नयी नयी जानकारी लोगो से साझा करता हु. मैं आशा करता हु की आपका भी सहयोग मुझे प्राप्त होता रहेगा. धन्यवाद.